ज़िन्दगी के जूऐ में
सब हौंसले हार के
घर परत आना
गली के मोड़ पे
बापू की खांसी पहचान लेना
घर के दरवाज़े से
माँ की आंहे सुन लेना
किसी कोने में उड़ते
बहन के आंसू देख लेना
दीवार में फसें छोटे भाई के
हाथ पकड़ लेना
कुछ इस तरह ही होता है
जब बरसों बाद
घर से अपनी रोशनी ढूँढने गया
घर का चिराग
किसी सुबह को
दुनिया के तमाम अंधेरे
लेकर लौट आए
और अपनी आंखों से
खुश्क सा गिला करे ... ।
Saturday, November 28, 2009
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हर प्रवासी के दिल की आवाज़ बहुत सुन्दर है कविता शुभकामनायें
ReplyDeleteज़िन्दगी के जूऐ में
ReplyDeleteसब हौंसले हार के
घर परत आना
गली के मोड़ पे
बापू की खांसी पहचान लेना
घर के दरवाज़े से
माँ की आंहे सुन लेना
किसी कोने में उड़ते
बहन के आंसू देख लेना
दीवार में फसें छोटे भाई के
हाथ पकड़ लेना
कुछ इस तरह ही होता है
जब बरसों बाद
घर से अपनी रोशनी ढूँढने गया
घर का चिराग
किसी सुबह को
दुनिया के तमाम अंधेरे
लेकर लौट आए
और अपनी आंखों से
खुश्क सा गिला करे ...
वाह जसवीर जी बहुत सुंदर.....बहुत बढ़िया लिखते हैं आप .....!!
kapila ji ,harkeerat shukriya
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