पता होता तो हम ऐसा कभी दिलदार ना करते
मुहब्बत का किसी से भी कभी इज़हार ना करते
अगर आना उन्हें होता तो दरिया चीर कर आते
तूफां से दिल में गर उठते किनारे यार ना करते
कभी तुम आज़माते तो हमारे इशक की अज़्मत
कभी फिर मांगते तुम जान हम इनकार ना करते
हमारी आँख से आँसू रवां होते ना फिर ऐसे
अगर ख़ुद को वफा के नाम पे बेज़ार ना करते
अगर होता उन्हें पासे वफ़ा मेरी मुहब्बत का
तो मेरी पीठ पर वो इस तरह से वार ना करते
Friday, May 22, 2009
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सच कहाँ किसी को पता चलता है..इसी गलत फहमी में ही जिंदगी गुजर जाती है..
ReplyDeleteबढ़िया
ReplyDeleteसुन्दर भाव
वीनस केसरी