Saturday, March 14, 2009

अपने ही आप

अपने ही आप हम तो हारे थे
फिर भी तेरे कहीं ईशारे थे

तू नदी थी तो मै समुन्दर था
पर तेरे और ही किनारे थे

तूं ही तूं हर तरफ़ तेरी खुशबू
मै नही था तो ये नज़ारे थे

वो जो कहते थे तुम हमारे हो
वकत पड़ने पे कब हमारे थे

तूं तो ख़ुद चाँद थी मगर मेरे
वकत की धूल में सितारे थे

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