अपने ही आप हम तो हारे थे
फिर भी तेरे कहीं ईशारे थे
तू नदी थी तो मै समुन्दर था
पर तेरे और ही किनारे थे
तूं ही तूं हर तरफ़ तेरी खुशबू
मै नही था तो ये नज़ारे थे
वो जो कहते थे तुम हमारे हो
वकत पड़ने पे कब हमारे थे
तूं तो ख़ुद चाँद थी मगर मेरे
वकत की धूल में सितारे थे
Saturday, March 14, 2009
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