वो तेरे जो करीब बैठा है
दिल में उसके रकीब बैठा है
मै बिना बोझ दौड़ना चाहू
फिर भी सर पे नसीब बैठा है
वो जिसे तुम अमीर कहते हो
उसके अंदर गरीब बैठा है
वो जो खुदसे ही बाते करता है
साथ उसके अदीब बैठा है
देखकर मुझको लोग कहते है
हर तरफ़ ही अजीब बैठा है
Saturday, March 14, 2009
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main bina bojh daudna chahu, sir pe magar naseeb baitha hai.....laajawaab panktiyan hain!
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