कलम का रहस्य
वो जानते हैं
जो बांस का टुकडा बन के
किसी अगम्मी फूँक का
इन्तजार करते हैं
तो जो कविता
सिर से पाँव तक
महज बांसुरी हो जाए
कलम का रहस्य
वो जानते हैं
जो अपने साये से
मुखातिब होते रहतें हैं
और तब तक
उसे देखते रहते हैं
जब तक वो सिकुडता -सिकुड़ता
महज बिन्दु न हो जाए
कलम का रहस्य
वो जानते हैं
जिनकी कपाल और एडी के बीच
ऊर्जा की तार बंधी होती है
जिसपर पक्षी बैठते हैं
नाचते हैं ,गातें हैं
और एक अजब ही
नाद पैदा करते हैं
Sunday, March 22, 2009
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yakin kijiye bahut kam logon ne samjha hoga aapki is kavita ko....par jisne bhi samjha hoga wo aapka mureed ban gaya hoga humaari tarah!
ReplyDeleteyahan bhi pachii gaate hain, phul khilta hai aur rang raushni ban ban nikharta hai....