Friday, October 23, 2009

कवि

यह अपने आप में अनहोनी घटना है

के वो सारी उमर लिखता रहा

कभी नज़्म ,कभी ग़ज़ल

और कभी कभी ख़त कोई ...

पर यह सच है

उसकी कोई भी लिखत

ना किसी किताब ने संभाली

न किसी हसीना के थरकते होठों ने ... ।

वो लिखता क्या था

मैं आज आपको बताता हूँ

वो लिखता था एक कथा

जो जन्म से पहले

पिता के लिंग का मादा था

और फ़िर

अपने बेटे के जिस्म

में बसा ख़ुद वो ... ।

यह हंसती हुई

गंभीर घटना तब शुरू हुई

जब उसने पहली बार

पीड़ित देखा

अपने माथे पर चमकते

चाँद के दाग का खौफ़

खौफ़ क्या था ?

बस यूँ ही जीए जाने

की आदत का एहसास ... ।

वो बर्दाश्त नही करता था

अपनी सांस में उठती पीड़ा की

हर नगन हँसी का मजाक

वो स्वीकार नही करता था

इतिहास के किसी

सफ़े पर

अपने पिछले जन्म का पाप ... ।

उसका नित-नेम

कोई कोरा -कागज़ था

और रोज़-मररा की जरूरत

हाथ में पकड़ी हादसाओं की कलम

वो बड़ी टेडी जिंदगी जी रहा था

बे-मंजिल सफर सर कर रहा था

पर फिर भी

वो जी रहा था

लिख रहा था

और हर पल तैर रहा था

शब्दों के बीचों -बीच

आंखों के समंदर में ।

5 comments:

  1. आजकल के इस खुरदरे माहौल में पाँवों की बजाय दिल से सफ़र करने वाले राहगीरों के दिलों के फफ़ोलों पर किसी कारगर मरहम का सा काम करती हैं जसबीर कालरवि की रुहानी कलम से निकली कविताएँ ग़ज़लें या कहानियाँ।केवल कनाडा ही नहीं अपितु भौगोलिक सीमाओं का अतिक्रमण कर भारत सहित समस्त देशों के सहृदय साहित्य सेवी जसबीर जी की भावप्रवणता, भाषा की सहजता,गूढ़तत्त्वों को भी सरलप्रभावी ढंग से कह देने की कलात्मकता का लोहा मानेंगे!मैं तो रबाब और अन्य उपलब्ध स्फुट कविताओं को पढ़ते ही जसबीर जी की कलम का कायल हो गया हूँ।

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  2. पर यह सच है
    उसकी कोई भी लिखत
    ना किसी किताब ने संभाली
    न किसी हसीना के थरकते होठों ने ... ।
    बहुत सुन्दर बधाई

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  3. KYA KHOOB LIKHA HAI.....EK GAHAN PEEDA KO SHABD DE DIYE HAIN.........ATI UTTAM

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  4. शब्दों के बीचोबीच आँखों के समन्दर का मंज़र खड़ा करके आपने एक बेहतरीन नज़्म है...मैं आपके हुनर का अभिवादन करता हूँ......... और आशा करता हूँ कि यह रचना सभी को पसंद आएगी..........

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