Thursday, September 24, 2009

काश वो वक़्त

काश वो वक़्त पे कभी आए ।
और फिर देर तक न घर जाए ।

घर के कोनों में ढूंढ़ता हूँ मैं ,
बीता लम्हा कोई तो मिल जाए ।

अब तो मेरा पता ही है गुम सा ,
अब वो मुझ को कहाँ नही पाए ।

दोस्तों- दुश्मनों कों क्या कहना,
हम ने तो ख़ुद से गम बड़े पाए ।

ज़र्द पत्तों का घर नही होता ,
फिर बहारों का ख़त कहाँ आए ।

ज़िन्दगी मुझ को ढूंढ़ती फिर से ,
साथ अब ले के मौत के साये ।

लोग तो यूँ ही भागे फिरते हैं ,
ख़ुद से आगे कोई कहाँ जाए ।

मैं तो बस जाम- जाम कहता हूँ ,
यूँ ही साकी के हाथ घबराए ।

मुझ को आमद अभी कहाँ होती ,
यह तो कुछ शब्द खेलने आए ।

Saturday, September 19, 2009

कर गया दर्द

कर गया दर्द मालो- माल मुझे ।
जब भी आया तेरा ख्याल मुझे ।

आज मुद्दत के बाद चुप सा लगा ,
जो था मेरा ही खुद सवाल मुझे ।

मुझ को मालुम है वो मिलेगा नही,
ढूँढना जिसको सालों-साल मुझे ।

ख्वाब के पैर तो नही थे कोई ,
नींद पर पूछे हॉल -चाल मुझे ।

फलसफा जिंदगी का कुछ भी नहीं ,
मौत से ये रहा मलाल मुझे ।

साथ तेरे हैं दोस्तों ने कहा,
पर हकीकत करे सवाल मुझे ।

बीते लम्हों का दर्द बढ सा गया ,
पूछा ' जसबीर' ने जो हाल मुझे।

Thursday, September 3, 2009

टूटा दिल तो

टूटा दिल तो दिमाग ने सोचा
राख हुए तो आग ने सोचा

इतना गहरा न जख्म दे कोई
जख्म सूखा तो दाग ने सोचा

जब भी जागे मुझे भुझा देंगे
मतलबी सब ,चिराग ने सोचा

जब मेरा घर ही जल गया सारा
तब ही मल्हार राग ने सोचा

सारी दुनिया में ढूंड कर देखा
घर चले तो विराग ने सोचा

अब तो जसबीर बच नही सकता
छोड़ आए सुराग ने सोचा