Saturday, July 12, 2014

मैं 
अमन की बात 
करने जा रहा हूँ
……
बस
हथियार 
तैयार  रखना । 

Sunday, July 6, 2014

A GAZAL FROM MY BOOK OF GAZALs "KHUMARI"

एक  ग़ज़ल


वफ़ादारी निभाकर अब वो कैसे बे-वफ़ा होगा ।
ये उसका दूसरा चिहरा तो बस उसको पता होगा ।

मैं कतरा था समन्दर ने मुझे भी रास्ता देकर ,
कहा था गर किनारे पर गए तो हादसा होगा  ।

वो सीने से लगाकर ही जिसे दिन रात रखते थे
मेरे अंदर वही ज़ख्मी  परिंदा चीखता होगा ।

मेरी आँखों के अंदर खो गया निकला हुआ आँसू ,
मुझे मालूम है वो जब मिला मोती बना होगा ।

सुना है सर्द मौसम में कभी वो सो नहीं पाता ,
वो पागल आसमां को ओढकर  फिर खींचता होगा ।

खुले कपडे पहनकर सो गया मेरा कोई सपना ,
के जैसे उसके सपने का कफ़न मेरा पता होगा ।  

कई तूफान उसकी याद का हिस्सा बने होंगे ,
कभी जब ज़र्द पत्ता सबज़ पत्ते देखता होगा ।

अभी "जसबीर" तो अनजान है समझा नहीं खुद को ,
मगर यह ज़िंदगी क्या चीज़ इतना जानता होगा । 


Thursday, August 8, 2013

LADKE ....A POEM FROM MY POETRY BOOK " RABAAB"

                    लड़के

कई लड़के बहुत  रंगीन होते हैं
जो मन के समुंदर से
हर रोज़
रंगीन मछलियाँ पकड़ते पकड़ते
मछली मछली
अक्सर सफेद हो जातें हैं.….

कई लड़के मज़ीद  सादा होते हैं
जो मनचाही लड़की को
दिल की बात कहने के लिए
वैलेंटाइन डे का इंतज़ार करतें हैं
और उसके हाथों में पकडे
दर्जनों फूलों में कहीं खो जाते हैं.……

कई लड़के बहुत आवारा होते हैं
जो सड़क पर चलती
हर मासूम लडकी की
माहवारी तारीख जान लेते हैं
और मौका मिलने पर
उस तारीख पर रोंक लगा देते हैं.…….

कई लड़के बहुत अनाड़ी होते हैं
जो किसी ख़ास लड़की से
अक्सर शरमा जाते हैं
और फिर
सारी उम्र के लिए
हंसना भूल जाते हैं.……

कई लड़के बहुत खिलाडी होते हैं
जो हर लड़की पर
एक जैसी नज़र रखते हैं
हर लड़की को बड़ी शिद्दत से चाहते हैं
और अपनी पते वाली सबज डायरी
लाल लकीरों से भर देते हैं.…….

कई लड़के बहुत हँसमुख होते हैं
जो दूसरों को
हँसाने के लिए
अपने दिल की टीसों को
कहीं अंदर दबा लेते हैं
और दिन प्रति दिन पिंज़र हो जाते हैं.…….

कई लड़के बहुत जवान दिखते हैं
जो और जवान होने की चाह में
हर रकम से तकसीम हो जाते हैं
और एक दिन खुद से मनफी होकर
बचे मखोटे में
खुद को ढूंढते हैं.…….

और कई लड़के  मेरे जैसे पागल होते हैं
जो अपना साथ ढूंढते
किसी महासागर में डूब जाते हैं
और स्वे बूँद से सारी उम्र
महासागर मापते हैं।

(Published first time in my poetry book 15 years back )

Saturday, June 22, 2013

GAZAL .......चाँद से

           ग़ज़ल

चाँद  से बस  ये गिला   है  I
ठोकरें  खाकर   मिला   है  I

याद  आता   ही  नहीं वो ,
ये  दिया  उसने  सिला  है  I

लाश भवरे की मिली है ,
फूल जब- जब भी खिला है I

तेज़ हैं यादों  के  नश्तर ,
बस ये ज़ख्मों को गिला है I

ख़ाब में जो कशमकश  है ,
सोच का ही सिलसिला  है  I

ज़िंदगी 'खामोश ' तनहा
साथ  बेशक  काफिला  है I

     

Sunday, June 2, 2013

ग़ज़ल ....कर गया दर्द फिर बेहाल मुझे

                 ग़ज़ल  
                                                                                                                          
कर गया दर्द फिर बेहाल  मुझे ॥  
जब भी आया तेरा ख्याल मुझे ॥


वो मुझे अब तो और ही लगता ।
जो था मेरा ही खुद सवाल मुझे ॥


मैं  जिसे  ढूँढता  रहा हूँ  सदा  ।
पास रह  कर  करे  मुहाल मुझे ॥


फ़लसफ़ा ज़िन्दगी का कुछ भी नहीं ।
मौत से ये  रहा मुलाल  मुझे ॥


साथ तेरे हैं दोस्तों ने कहा ।
पर हक़ीकत  करे बेहाल मुझे ॥


फिर तो "जसबीर" दर्द बड ही गया ।
उसने पुछा जो हाल-चाल मुझे ॥ 

Saturday, September 15, 2012

                  ग़ज़ल
                                   

मुझको आँखों में तुम बसाओ  तो   ।।
मुझको मुझसे  कभी  मिलाओ  तो  ।।

मेरे  हाथों  पे   हाथ   रखो    तो ,
कुछ   लकीरें   नई  बनाओ    तो ।

होश  ही  होश फिर रहे  मुझको ,
जाम पे  जाम  गर  पिलाओ  तो ।

मेरे  मन  में लिखा  पढ़ो  तुम भी ,
रिशते  ऐसे  कभी  निभाओ  तो ।

खुद से  चोरी  मुझे भी  देखो तो ,
और  फिर खुद को भूल जाओ तो ।

शब्द 'खामोश' तो नहीं होते
यूं  ही मुझ  को कभी बुलाओ तो ।

Sunday, July 8, 2012

                  ग़ज़ल

अब तो मैं तेरे सहारे भी संभल सकता नहीं |
थक गया हूँ दौड़ कर अब और चल सकता नहीं |

वो सियारा है अगर तो रोशनी में वो जले ,
मैं अँधेरा हूँ किसी के साथ जल  सकता नहीं |


एक दिन छुआ छूयाई में ही साया खो गया  ,
मुझको लगता था मेरा  सूरज तो ढल सकता नहीं |


अजनभी हूँ अजनभीयत सी तबीयत बन गयी  ,
अब मेरा कोई भी रिश्ता मुझको छ्ल सकता नहीं  |


उसने राहें छीन लीं हैं पर उसे मालुम नहीं ,
ख्वाब तो बस  ख्वाब हैं उनको निगल सकता नहीं |


एक उलझन से निकल "जसबीर " बच ना पाओगे  ,
उलझनों का ताज तो  सर से निकल  सकता नहीं |