दिल का जलना तो आज कल कम है ।
फिर भी आँखों में तैरता गम है ।
ज़ख़्म ऐसा मिला मुझे उनसे ,
ज़ख़्म सूखा तो दाग को गम है ।
दिन ढले ही चिराग़ रोशन हो ,
फिर न कहना के रोशनी कम है ।
उम्र भर ढूंढ़ते रहे जिसको ,
उसको मेरी तलाश का गम है ।
अब तो 'खामोश' रह के जी लो तुम
अब तो तेरे रकीब में दम है ।
फिर भी आँखों में तैरता गम है ।
ज़ख़्म ऐसा मिला मुझे उनसे ,
ज़ख़्म सूखा तो दाग को गम है ।
दिन ढले ही चिराग़ रोशन हो ,
फिर न कहना के रोशनी कम है ।
उम्र भर ढूंढ़ते रहे जिसको ,
उसको मेरी तलाश का गम है ।
अब तो 'खामोश' रह के जी लो तुम
अब तो तेरे रकीब में दम है ।
bahut khub..
ReplyDeletekya likha hai janab aapne, maja aagaya padh ke . wah wah wah
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