Friday, July 10, 2009

दोस्तों से अब

दोस्तों से अब कोई भी मशवरा होता नहीं
इसलिए उनकी बगल में भी छुरा होता नहीं

पेड़ पत्त्ते बांसुरी है झरने का संगीत भी
यह इल्लाही गीत है जो बेसुरा होता नहीं

तुम किसी के इशक में मरते हुए जीओ अगर
पाओगे ऐसा मज़ा जो किरकरा होता नहीं

अपने अंदर जा रहा है हर कदम जो आदमी
वो तेरी दुनिया का पागल सिरफिरा होता नहीं

मेरे मन के इक मकां में जो किराएदार है
उसके जैसा आदमी सब में बुरा होता नहीं

6 comments:

  1. अपने अंदर जा रहा है हर कदम जो आदमी
    वो तेरी दुनिया का पागल सिरफिरा होता नहीं

    -क्या बात है, वाह!

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  2. दोस्तों से अब कोई भी मशवरा होता नहीं
    इसलिए उनकी बगल में भी छुरा होता नहीं
    ===
    behatareen rachanaa

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  3. मेरे मन के इक मकां में जो किराएदार है
    उसके जैसा आदमी सब में बुरा होता नहीं

    बहुत खूब। वाह।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  4. ghazal kya hai ek khoobsoorat saugaat hai..
    bahut khoob kaha

    तुम किसी के इशक में मरते हुए जीओ अगर
    पाओगे ऐसा मज़ा जो किरकरा होता नहीं

    अपने अंदर जा रहा है हर कदम जो आदमी
    वो तेरी दुनिया का पागल सिरफिरा होता नहीं
    she'r ki bunaavat me jo nazar ki bariki chahiye ..voh aapme labaalabg bhari hai

    badhaai !

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  5. बहुत सुन्दर रचना है जसबीर जी।

    अपने अंदर..........
    और
    मेरे मन के इक मकां में जो किराएदार है
    उसके जैसा आदमी सब में बुरा होता नहीं

    ये पंक्तियाँ बहुत सुन्दर और गहरी हैं।
    बधाई!
    शैलजा

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  6. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है जसबीर भाई,

    मेरे मन के इक मकां में जो किरायेदार है
    उसके जैसा आदमी सब में बुरा होता नहीं

    अति सुन्दर रचना है। बधाई हो

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