दोस्तों से अब कोई भी मशवरा होता नहीं
इसलिए उनकी बगल में भी छुरा होता नहीं
पेड़ पत्त्ते बांसुरी है झरने का संगीत भी
यह इल्लाही गीत है जो बेसुरा होता नहीं
तुम किसी के इशक में मरते हुए जीओ अगर
पाओगे ऐसा मज़ा जो किरकरा होता नहीं
अपने अंदर जा रहा है हर कदम जो आदमी
वो तेरी दुनिया का पागल सिरफिरा होता नहीं
मेरे मन के इक मकां में जो किराएदार है
उसके जैसा आदमी सब में बुरा होता नहीं
Friday, July 10, 2009
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अपने अंदर जा रहा है हर कदम जो आदमी
ReplyDeleteवो तेरी दुनिया का पागल सिरफिरा होता नहीं
-क्या बात है, वाह!
दोस्तों से अब कोई भी मशवरा होता नहीं
ReplyDeleteइसलिए उनकी बगल में भी छुरा होता नहीं
===
behatareen rachanaa
मेरे मन के इक मकां में जो किराएदार है
ReplyDeleteउसके जैसा आदमी सब में बुरा होता नहीं
बहुत खूब। वाह।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
ghazal kya hai ek khoobsoorat saugaat hai..
ReplyDeletebahut khoob kaha
तुम किसी के इशक में मरते हुए जीओ अगर
पाओगे ऐसा मज़ा जो किरकरा होता नहीं
अपने अंदर जा रहा है हर कदम जो आदमी
वो तेरी दुनिया का पागल सिरफिरा होता नहीं
she'r ki bunaavat me jo nazar ki bariki chahiye ..voh aapme labaalabg bhari hai
badhaai !
बहुत सुन्दर रचना है जसबीर जी।
ReplyDeleteअपने अंदर..........
और
मेरे मन के इक मकां में जो किराएदार है
उसके जैसा आदमी सब में बुरा होता नहीं
ये पंक्तियाँ बहुत सुन्दर और गहरी हैं।
बधाई!
शैलजा
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है जसबीर भाई,
ReplyDeleteमेरे मन के इक मकां में जो किरायेदार है
उसके जैसा आदमी सब में बुरा होता नहीं
अति सुन्दर रचना है। बधाई हो