Monday, February 9, 2009

वो कहाँ मिले

वो कहाँ मिले मुझे तू बता
तेरे रास्ते तो ख़फा हुए
वो किसे कहे मिले दर्द जो
तेरे राहबर तो जुदा हुए

इसे खेल समझो तो ज़िन्दगी
में जो जीत है वो भी हार है
गए जीत कर जो जहाँ कभी
तूने कब सुना वो ख़ुदा हुए

न कोई जहां में बना मेरा
न किसी ने मुझको कहा मेरा
वो कहाँ के लोग थे जो यहाँ
एक दूसरे की दुआ हुए

दिखे फ़र्क न मुझे अब कोई
न कोई वफ़ा न कोई जफ़ा
वो कभी जो मुझ से वफ़ा हुए
वो ही ज़िन्दगी की सज़ा हुए

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