Saturday, June 23, 2012

jab se ....

जब से

जब से अपने सितारे गर्दिश में ।
तब से सारे सहारे गर्दिश में ।

मैं तो कतरा हूँ उस समुन्दर  का ,

जिसके सारे किनारे गर्दिश में ।

दूर तक अब कोई नही दिखता,
मैं ही मैं को पुकारे गर्दिश में

सब की आँखों पे खाक के परदे ,
कौन किसको निहारे गर्दिश में ।

ज़िन्दगी मौत जब गले मिलती ,
मिल ही जाते शरारे गर्दिश में ।

याद 'जसबीर ' उम्र भर रहते ,
जो भी लम्हे गुजारे गर्दिश में ।


2 comments:

  1. वाह बहुत खूब ...ये गर्दिश ही गर्दिश ..

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